कà¤à¥€ कà¤à¥€ मेरे दिल मैं खà¥à¤¯à¤¾à¤² आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जà¥à¤²à¥à¤«à¥‹à¤‚ कि नरà¥à¤® छांव मैं गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ पाती
तो शादाब हो à¤à¥€ सकती थी।
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शà¥à¤“ं मैं खो à¤à¥€ सकती थी।
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जà¥à¤¸à¥à¤¤à¤œà¥‚ à¤à¥€ नहीं।
गà¥à¤œà¤¼à¤° रही हैं कà¥à¤› इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इससे किसी के सहारे कि आरà¤à¥ à¤à¥€ नहीं.
न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सà¥à¤°à¤¾à¤—
à¤à¤Ÿà¤• रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी.
इनà¥à¤¹à¥€ अंधेरों मैं रह जाऊà¤à¤—ा कà¤à¥€ खो कर
मैं जानता हूठमेरी हम-नफस, मगर यूंही
कà¤à¥€ कà¤à¥€ मेरे दिल मैं खà¥à¤¯à¤¾à¤² आता है.
10 replies on “Kabhi Kabhi”
ye kya ho gaya.. iffa dekh liya?
now you know how i had to waste my weekend – watching iifa! get well soon.
होता है… कà¤à¥€ कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ होता है….
जिंदगी हर रंग दिखाती है…
कà¤à¥€ कà¤à¥€ Black & White कà¥à¤› जादा दिन तक चलता है…
Hope that life fills your life with vibrant colors pretty soon…till then, just Hang On..
Purey IIFA mein yehi dikha?
Thanks Garima. 🙂
LOL – no, but parts of this one delivery by BigB struck a chord so well with me, that I was forced to keep repeating these words to myself for a long long time till I fell asleep yesterday.
chutiyapa
I prefer calling it SHITaapa
तेरा हाथ हाथ में हो अगर, तो सफ़र ही असà¥à¤²-à¤-हयात है
मेरे हर कदम पे हैं मंजिलें, तेरा साथ गर मेरे साथ है
मेरी बात का मेरी हमनफ़ज़, तू जवाब दे की ना दे मà¥à¤à¥‡
तेरी à¤à¤• चà¥à¤ª में छà¥à¤ªà¥€ हज़ार बातों की à¤à¤• बात है
तेरा हाथ हाथ में हो अगर…
arrey vaah – kya sheir likha hai dost! seriously good! 🙂