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Meethi-Cheez music

[audio:meethi-cheez.mp3]

Lyric by Neelabh

रात का बताशा है,
काट के तराशा है.

रात का बताशा है,
काट के तराशा है.

बादल के साथ घुल जाएगा,
कुछ बारिश में धुल जाएगा.

हाथ बढ़ा के तोड़ लूँ,
थोड़ा चख के छोड़ दूँ.

हाथ बढ़ा के तोड़ लूँ,
थोड़ा चख के छोड़ दूँ.

दूज का चाँद बन के फिरेगा,
तेरे आँगन आ के गिरेगा.

अपने हाथों से………

अपने हाथों से समेट लेना,
चोटी के साथ लपेट लेना.

चोटी के साथ लपेट लेना.

सुबह कहीं जाग न जाए,
नींद के साथ भाग न जाए.

अगर नहीं चखता इसे,
पास अपने रखता इसे.

अगर नहीं चखता इसे,
पास अपने रखता इसे.

एक रात जंगले से निकल जाता,
किसी तारे पे फिसल जाता.

बन के चाँद चमकता रहता,
शाम के बाद लहकता रहता.

बन के चाँद चमकता रहता,
शाम के बाद लहकता रहता.

बन के चाँद चमकता रहता,
शाम के बाद लहकता रहता.

Can anyone sing it for me the way I have composed music for this song (originally a poem)? Anyone? Lines with the same colour have the same tune – this is so that you can follow the music when you hum the song to yourself. Sing it.

2 replies on “Meethi-Cheez music”

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