Lyric by Neelabh
रात का बताशा है,
काट के तराशा है.
रात का बताशा है,
काट के तराशा है.
बादल के साथ घà¥à¤² जाà¤à¤—ा,
कà¥à¤› बारिश में धà¥à¤² जाà¤à¤—ा.
हाथ बढ़ा के तोड़ लूà¤,
थोड़ा चख के छोड़ दूà¤.
हाथ बढ़ा के तोड़ लूà¤,
थोड़ा चख के छोड़ दूà¤.
दूज का चाà¤à¤¦ बन के फिरेगा,
तेरे आà¤à¤—न आ के गिरेगा.
अपने हाथों से………
अपने हाथों से समेट लेना,
चोटी के साथ लपेट लेना.
चोटी के साथ लपेट लेना.
सà¥à¤¬à¤¹ कहीं जाग न जाà¤,
नींद के साथ à¤à¤¾à¤— न जाà¤.
अगर नहीं चखता इसे,
पास अपने रखता इसे.
अगर नहीं चखता इसे,
पास अपने रखता इसे.
à¤à¤• रात जंगले से निकल जाता,
किसी तारे पे फिसल जाता.
बन के चाà¤à¤¦ चमकता रहता,
शाम के बाद लहकता रहता.
बन के चाà¤à¤¦ चमकता रहता,
शाम के बाद लहकता रहता.
बन के चाà¤à¤¦ चमकता रहता,
शाम के बाद लहकता रहता.
Can anyone sing it for me the way I have composed music for this song (originally a poem)? Anyone? Lines with the same colour have the same tune – this is so that you can follow the music when you hum the song to yourself. Sing it.
2 replies on “Meethi-Cheez music”
😀 I am netless these days. Will hear it once my net is up and running. Cheers!!
May your net be up and running soon…